आधुनिक युग में, जहां तकनीकी प्रगति और विज्ञान की उपलब्धियों ने मानव सभ्यता को आगे बढ़ाया है, वहीं खाद्य सुरक्षा की समस्या आज भी एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है। एक नई रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में बहुत से लोग अपने आहार की कमी से पीड़ित हो रहे हैं और इस संकट का सामना कर रहे हैं।
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संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रकाशित 'द स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन इन द वर्ल्ड 2022 रिपोर्ट' के अनुसार, लगभग 73.5 करोड़ लोग भुखमरी का शिकार हैं, जिन्हें पूरे दिन का भोजन नहीं मिल पाता है।
कोविड-19 और खाद्य सुरक्षा, भारत के लिए भी चुनौती
यह चिंताजनक अंक खाद्य सुरक्षा की स्थिति में गंभीरता को दर्शाता है। 2019 में, 61.8 करोड़ लोगों ने भुख का सामना किया था, और सिर्फ 3 साल में इस संख्या में 12.2 करोड़ की वृद्धि हुई है।यह तेजी से बढ़ रही भुखमरी का मुख्य कारण कोविड-19 महामारी, क्लाइमेट चेंज, और रूस-यूक्रेन जंग है।
कोविड-19, क्लाइमेट चेंज, और रूस-यूक्रेन जंग: भुखमरी के प्रमुख कारण
कोविड-19 महामारी ने खाद्य सप्लाई चेन पर गंभीर प्रभाव डाला है, जहां लॉकडाउन के कारण भोजन की आपूर्ति में रुकावटें आईं। इसके अलावा, शोध भी सुझाव देती है कि कुपोषण कोरोना संक्रमण के खतरे को बढ़ा सकता है, जहां भोजन की कमी वाले लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है।
खाद्य सुरक्षा पर कोविड-19 और क्लाइमेट चेंज का प्रभाव
इसके अलावा, क्लाइमेट चेंज ने भी खाद्य सुरक्षा पर विपरीत प्रभाव डाला है। अचानक बाढ़ या सूखे के कारण, कई देशों में फसलें नष्ट हो गईं और यह सिर्फ खाद्य पदार्थों के नहीं, बल्कि भोजन की आपूर्ति की सुरक्षा पर भी प्रभाव डाला।
खाद्य सुरक्षा के असंतुलन के परिणामस्वरूप बच्चों का कुपोषण
रिपोर्ट के अनुसार, बांगलादेश, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, इथोपिया, अफगानिस्तान, और रूस-यूक्रेन जैसे देश भुखमरी की सबसे ज्यादा गंभीर स्थिति में हैं। ये देश गेहूं आदि खाद्य पदार्थों के आयात करते हैं, और रूस-यूक्रेन जंग के कारण उनकी स्थिति और खराब हो गई है।
यह आंकड़े खाद्य सुरक्षा की गंभीर समस्या को प्रकट करते हैं, और यदि यह समस्या नजरअंदाज की जाती है, तो 2030 तक 60 करोड़ लोग कुपोषित हो सकते हैं। इसलिए, समस्या के समाधान के लिए संयुक्त राष्ट्र और अन्य संगठनों को आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता है।
यह रिपोर्ट सिर्फ एक चेतावनी है कि खाद्य सुरक्षा एक महत्वपूर्ण चुनौती है, और हमें समस्या को गंभीरता से लेना चाहिए। साथ ही, वैश्विक स्तर पर क्षुद्र और बड़े उपायों को अपनाकर, हमें खाद्य सुरक्षा को सुधारने के लिए संयुक्त प्रयास करने की जरूरत है।