How many people are mentally disturbed in India: भारत, जिसमें 140 करोड़ लोगों की आबादी है, हमारा देश विविधता भरा है जहां आधुनिकता और परंपरा एकसाथ अपनाई जाती है। इसी देश में बढ़ती हुई मानसिक बीमारियों के मुद्दे ने एक नई चुनौती पैदा की है, जिससे हमारे समाज को निपटने की जरूरत है।
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देश में मानसिक बीमारियों की तेजी से बढ़ती संख्या
दिन प्रतिदिन बढ़ती हुई जीवनशैली, तनाव, और सामाजिक दबाव ने मानसिक बीमारियों को एक बड़ी समस्या बना दिया है। डिप्रेशन, अंगीकार विकार, चिंता, और अन्य मानसिक संबंधित विकारों की तेजी से बढ़ती संख्या चिंता का विषय बन गई है।
पागलपन के कारण
मानसिक संतुलन की खराबी का मुख्य कारण तनाव, असंतुलित जीवनशैली, परिवारिक समस्याएं, संबंधों में दिक्कतें, और निराशा होता है। इसके अलावा, तकनीकी विकास और आधुनिकता के चलते भी लोगों के जीवन में असुरक्षा एवं स्वार्थपरता का महत्वपूर्ण योगदान है।
भारत में मानसिक बीमारों की संख्या
2017 की ICMR की रिपोर्ट के अनुसार, देश में 19.73 करोड़ लोग मानसिक बीमारी से जूझ रहे थे। हालांकि, इस समय की ताज़ा जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन विशेषज्ञ इस आंकड़े के तेजी से वृद्धि का खुलासा कर रहे हैं।
आत्महत्या की चुनौती
मानसिक बीमारी से जूझने वाले लोगों के बीच आत्महत्या की दर भी चिंता का विषय बन रही है। खुद को अकेला महसूस करने, समाज से अलग होने, और निराशा के कारण लोग अपने जीवन को खत्म करने की सोचते हैं।
पागलपन का इलाज
चिंता का विषय बनने वाले इस मुद्दे को समझने के लिए समाज में जागरूकता फैलाना अत्यंत आवश्यक है। मानसिक बीमारियों का सटीक इलाज समय पर किया जाए तो इससे उचित उपचार संभव है। चिकित्सा विज्ञान के विकास ने मानसिक संतुलन को सुधारने के लिए नए दिशानिर्देश प्रदान किए हैं जो लोगों को सही राह दिखा सकते हैं।
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